- •Слова и выражения для смысловой интерпретации текста Wortschatz zur Textanalyse Юля и Диана
- •I.Einteilung – Классификация Эльвира Альбертовна
- •II.Das Thema – Тема Ильнар Закиров
- •III. Das Problem – Проблема Юля Ринатовна
- •IV. Inhaltsangabe – Оглавление
- •V.Charakteristik der handelnden Personen – Характеристика главных героев. Салтанат Наурузова
- •VI.Schluss Светка №2
- •Positive Charakteristik des Helden
- •Negative Charakteristik des Helden
Negative Charakteristik des Helden
1. unsympathisch |
несимпатичный |
|
2. unentschlossen |
нерешительный |
|
3. unschlüssig |
нерешительный |
|
4. schüchtern |
робкий, застенчивый, нерешительный, несмелый |
|
5. menschenscheu |
нелюдимый, дикий, одичавший, боящийся людей |
|
6. zerstreut |
рассеянный, невнимательный |
|
7. leichtgläubig |
легковерный, доверчивый |
|
8. leichtsinnig |
легкомысленный, ветреный, беззаботный |
|
9. vergesslich |
забывчивый |
|
10. eifersüchtig |
ревнивый |
|
11. redselig |
разговорный, словоохотливый, болтливый |
|
12. verschlossen |
замкнутый |
|
13. mürrisch |
ворчливый, брюзгливый, угрюмый |
|
14. reizbar |
раздражительный, возбудимый, обидчивый |
|
15. nachgiebig |
уступчивый, сговорчивый |
|
16. wankelmütig |
нерешительный, колеблющийся |
|
17. wortkarg |
неразговорчивый, лаконичный |
|
18. jähzornig |
вспыльчивый, запальчивый |
|
19. nachtragend, nachträgerisch |
злопамятный, обидчивый, мстительный |
|
20. empfindlich |
чувствительный, восприимчивый |
|
21. empfindsam |
чувственный, сентиментальный |
|
22. fanatisch |
фанатичный |
|
23. heißblütig |
горячий, пылкий, страстный |
|
24. leidenschaftlich |
страстный, пылкий |
|
25. schwärmerisch |
мечтательный, восторженный |
|
26. erregbar |
возбудимый, раздражительный |
|
27. unbeherrscht |
несдержанный |
|
28. hysterisch |
истеричный, истерический |
|
29. unberechenbar |
непредвиденный |
|
30. wählerisch |
разборчивый, прихотливый |
|
31. lebensmüde |
разочарованный, уставший от жизни |
|
32. keck |
смелый, дерзкий, лихой |
|
33. pedantisch |
педантичный, мелочный |
|
34. gefräßig |
прожорливый, ненасытный |
|
35. interesselos |
незаинтересованный |
|
36. unsicher |
небезопасный, ненадежный |
|
37. selbstbewusst |
самоуверенный, самонадеянный |
|
38. dreist |
смелый, дерзкий |
|
39. misstrauisch |
недоверчивый, подозрительный |
|
40. simpel |
простой |
|
41. demütig |
смиренный, безропотный |
|
42. tollkühn |
отважный, отчаянный |
|
43. widerspenstig |
упрямый, откровенный |
|
44. aufbrausend |
вспыльчивый |
|
45. nervös |
нервный, с больными нервами |
|
46. launenhaft |
капризный, своенравный, непостоянный |
|
47. launisch |
капризный, своенравный |
|
48. kapriziös |
капризный |
|
49. wetterwendisch |
капризный, изменчивый, непостоянный |
|
50. gleichgültig |
равнодушный |
|
51. verzärtelt (ein Muttersöhnchen) |
изнеженный маменькин сынок |
|
52. eigensinnig |
своенравный, упрямый, настойчивый |
|
53. naseweis |
назойливо любопытный, нескромный |
|
54. gefühllos |
(выскочка) бесчувственный, черствый |
|
55. hitzig |
горячий, вспыльчивый, пылкий |
|
56. nörglerisch |
придирчивый, ворчливый |
|
57. unzuverlässig |
ненадежный |
|
58. leichtlebig |
беззаботный |
|
59. verwegen |
отважный, смелый, удалой, дерзкий |
|
60. geschwätzig |
болтливый |
|
61. schlau |
хитрый, лукавый, ловкий, изворотливый |
|
62. zänkisch |
задиристый, zankhaft - сварливый, склочный |
|
63. antipathisch |
противный, антипатичный |
|
64. charakterlos |
бесхарактерный |
|
65. charakterschwach |
слабохарактерный |
|
66. nachlässig |
небрежный, неряшливый, неаккуратный |
|
67. schlampig |
небрежный, неряшливый, неаккуратный |
|
68. fahrlässig |
небрежный, неосторожный, нерадивый, |
|
69.willenlos |
расхлябанный |
|
70. eitel |
безвольный |
|
71. halsstarrig |
тщеславный, неосторожный, пустой, ничтожный |
|
72. kleinmütig |
упорный, упрямый, твердолобый |
|
73. hochmütig |
малодушный, робкий, трусливый, унылый |
|
74.überheblich |
высокомерный |
|
75. anmaßend |
надменный, заносчивый |
|
76. dünkelhaft |
дерзкий, надменный, самонадеянный |
|
77. boshaft |
высокомерный, чванный |
|
78. eigennützig |
злой, злобный, злостный |
|
79. neidisch |
корыстный |
|
80. niederträchtig |
завистливый, капризный |
|
81 .gemein |
низкий, подлый, мерзкий, гнусный |
|
82. schmeichlerisch |
низко, подло |
|
83. heuchlerisch |
льстивый, вкрадчивый |
|
84. kriecherisch |
лицемерный, ханжеский |
|
85. tückisch |
подхалимский, раболепский, лакейский |
|
86. verlogen |
коварный, злой |
|
87. frech |
лживый, изолгавшийся |
|
88. brutal |
дерзкий, наглый, нахальный |
|
89. habgierig |
грубый, жесткий, зверский |
|
90. habsüchtig |
корыстолюбивый, жадный, алчный |
|
91. beschränkt |
недалекий, пустой |
|
92. borniert |
ограниченный, тупой |
|
93. eingebildet |
много о себе воображающий, чванный |
|
94. faul |
ленивый, нерадивый |
|
95. träge |
вялый, инертный, ленивый |
|
96. egoistisch |
эгоистичный, эгоистический, себялюбивый |
|
97. egozentrisch |
эгоцентричный |
|
98. arrogant |
надменный, заносчивый, высокомерный, дерзкий |
|
99. anspruchsvoll |
требовательный, взыскательный |
|
100. pessimistisch |
пессимистический |
|
101. lüstern |
жадный, похотливый, сладострастный |
|
102. blöde |
слабоумный, тупоумный, тупой, глупый, робкий |
|
103. herablassend |
надменный, снисходительный, покровительственный |
|
104. unverschämt |
бесстыдный, наглый, заносчивый нескромный, дерзкий |
|
105. vorlaut, vorwitzig |
наглый, (излишне) любопытный, нескромный |
|
107. ängstlich |
боязливый, трусливый, робкий |
|
108. furchtsam |
боязливый, трусливый, робкий |
|
109. unterwürfig |
покорный, раболепский |
|
110. untertänig 111. scheinheilig |
верноподданнический, покорный |
|
лицемерный, ханжеский |
|
|
112. bissig |
злобный, ехидный, ядовитый, раздражительный |
|
113. gallig |
желчный, злобный, раздражительный |
|
114. rachsüchtig |
мстительный |
|
115. arglistig |
коварный, лукавый |
|
116. heimtückisch |
коварный, вероломный, предательский |
|
117. hinterlistig |
коварный, хитрый неоткровенный, |
|
118. unaufrichtig |
нескромный |
|
119. verleumderisch |
клеветнический |
|
120. grausam |
жестокий, свирепый, лютый, зверский |
|
121. herzlos |
бессердечный |
|
122. hämisch |
злобный, коварный, лукавый, вероломный |
|
123. lächerlich |
смешной, забавный |
|
124. geschmacklos |
безвкусный, пошлый (человек) |
|
125. vorsichtig |
осторожный |
|
126. hart |
упрямый, упорный |
|
127. dumm |
глупый |
|
128. feige |
трусливый |
|
129. prahlerisch |
хвастливый |
|
130. geizig |
скупой, жадный, алчный |
|
131. asozial |
асоциальный |
|
132. unpatriotisch |
непатриотичный |
|
133. argwöhnisch |
подозрительный, недоверчивый, мнительный |
|
134. steif |
жесткий, твердый |
|
135. mutlos |
малодушный, унылый |
|
136. vertrauensselig |
доверчивый, легковерный |
|
Ablauf der Textanalyse. Sprachlicher Apparat.
Die Struktur der Analyse hängt immer von der außer- und innerlinguistischen Spezifik jedes konkreten Textes ab. Es gibt verschiedene Methoden der Analyse. In unserem Unterricht benutzen wir das Schema von A.B.Koschljak, die uns besonders ausführlich scheint. Sie schlägt folgende Richtlinien der linguostilistischen Textanalyse:
1. Kurze literarische Würdigung des Textes: Verfasser, Genre des Werkes, Ideengehalt des Werkes.
2. Kritische Wiedererzählung des Textes/ des Textauszuges.
3. Textkomposition: innerer und äußerer Aufbau des Textes; Kompositionsformen.
4. Analyse der sprachstilistischen Ausdrucksmittel:
Struktur des Absatzes;
Grammatische Stilebene: Satzstruktur, Satzarten, Satzformen, morphologische Mittel u.a.;
Lexische Stilebene;
Stilfiguren: Mittel der Bildkraft; lexisch-grammatische Stilfiguren; Mittel zum Ausdruck von Humor und Satire;
Phonetische Stilebene.
5. Absicht und Wirkung: Das Ergebnis einer Textanalyse ist ein begründetes Erfassen der Intention
(Aussageabsicht) des Textes bzw. des Autors.
Die obengenannten Arbeitsschritte geben eine mögliche Methode der Textanalyse vor. So kann man vorgehen, so muss nicht vorgegangen werden. Die einzelnen Fragen verstehen sich als Anregungen; sie sollen nicht wie bei einer Checkliste nacheinander abgearbeitet werden. Der zugrunde liegende Text entscheidet, welche Fragen wichtig sind. So kann bei einem Text beispielsweise der Ort des Geschehens außerordentlich wichtig, die Zeit nebensächlich sein. Bei einem anderen Text können Ort und Zeit unwichtig sein; dafür sind dann andere Aspekte wesentlich. In der Gesamtanalyse können mehr oder weniger alle Elemente wichtig sein.
Im Weiteren werden sie extra beschrieben.
Kurze literarische Würdigung des Textes: Verfasser, Genre des Werkes, Ideengehalt des Werkes.
Auf dieser Arbeitsphase sind folgende Fragen zu beantworten:
Werden Quellen und Verfasser genannt?
Was leistet die Überschrift?
Von wem stammt der Text? Wann wurde er verfasst?
Welche Bedeutung hat das vorliegende Werk im Gesamtschaffen des Verfassers?
Welche Textsorte liegt vor? Um welchen Texttyp handelt es sich?
In welche literaturhistorische Epoche lässt sich der Text einordnen?
Zeigt der Text inhaltlich und formal typische Merkmale jener Literaturepoche? Welche typischen Merkmale hat jene Epoche?
Gibt es zwischen Thema, Problem und Intention des Textes typische literaturhistorische Zusammenhänge?
Ist der Autor aufgrund seiner ideologischen Position ein typischer Vertreter jener Epoche?
Kritische Wiedererzählung des Textes/ des Textauszuges
Kritische Wiedererzählung des Textes ist als Zusammenfassung den wichtigsten Sach- und Ideengehalt des Textes ganz kurz darzubieten, d.h. den ganzen Text verdichten, „zusammenpressen“ bis 5-6 Sätze, welche die Quintessenz des Inhalts darstellen.
Dabei können drei prinzipielle Herangehensweisen gebraucht werden:
die thesenartige Textwiedergabe,
die indirekte Textwiedergabe,
die umschreibende Textwiedergabe.
Textkomposition: innerer und äußerer Aufbau des Textes
Äußerer Aufbau – Architektonik des Textes: formale Gliederung der Gesamtstruktur in ihr äußeres Baugerüst, in architektonische Einheiten – Absatz, Abschnitt, Kapitel, Teil, Szene, Akt, Verszeile, Strophe.
Innerer Aufbau – thematische Linienführung und Ideengehalt (Handlungsstrange oder Sujetlinien, Motiv, Ideen- und Gefühlsablauf, Charakterzeichnung). Bei der Analyse können folgende Fragen gestellt werden.
Wovon handelt der Text? Welches Thema / Problem wird angesprochen? Wie entwickelt der Text das Problem / Thema?
Welches Geschehen, welche Handlung stellt der Text dar?
Wann und wo spielt das Geschehen? Welche Rolle spielen Ort und Zelt der Handlung?
Wer sind die Handlungsträger? Gibt es eine Hauptfigur, gibt es Gegenfiguren? Nebenfiguren? Funktionsträger?
Wie stehen die Figuren zueinander? Welche Haltung nehmen sie zum Geschehen / Problem ein?
Wie sind die handelnden Figuren charakterisiert? Was tun sie? Was sagen sie? Wie
verhalten sie sich? Welche besonderen Merkmale haben sie?
Kompositionsformen:
Berichten,
Erzählen,
Beschreiben,
Schildern,
Erörtern.
Kompositionsform oder anders gesagt künstlerische Darbietungsform des Stoffes dient als Verbindung zwischen innerem und äußerem Aufbau, d.h. wie der Verfasser sein Thema dem Leser nahebringen will: episch berichtend, schildernd, kommentierend, propagierend u.a.; monologisch erzählend, dialogisch inszenierend; einzelnen (wenigen) Empfängern oder der Massenkommunikation angepasst.
Analyse der sprachstilistischen Ausdrucksmittel
Umfang und Bedeutung der Sprachanalyse sind sicherlich abhängig von der Textsorte; sie wird bei der Analyse von lyrischen Gebilden anders aussehen als bei der Analyse einer Rede, einer Kurzgeschichte oder einer Dramenszene.
Da gemäß dem Kommunikationsmodell die Intention Textsorte und Sprachverwendung bestimmt, muss die Sprachanalyse die Funktion der sprachlichen und stilistischen Mittel für die Intention aufzeigen. Da bei literarischen Texten die Sprache Gegenstand und Mittel ist, muss die Sprachanalyse notwendiges Glied der Textanalyse sein.
Die folgende Zusammenstellung benennt eine Vielzahl möglicher Aspekte, deren Wichtigkeit bei der konkreten Analyse von der Textsorte abhängig ist.
Bei der Sprachanalyse sind folgende Fragen zu beachten:
Aus welchem (n) Bereich(en) nimmt der Erzähler seine Nomen? Gibt es auffällige Begriffe?
Haben die Adjektive eher beschreibende oder bewertende (Auf- oder Abwertung) Funktion?
Welche Verben werden eingesetzt, und welche Bedeutung kommt ihnen für die Darstelllung des Geschehens zu?
Welche Wortart(en) trägt (tragen) den Inhalt des Dargestellten am deutlichsten (Nominal-, Verbal-, Adjektivstil)?
Ist der Text von der Stilebene her poetisch, fachsprachlich, bürokratisch, umgangssprachlich ... gehalten?
Welche stilistischen Mittel setzt der Erzähler ein (sprachliche Bilder, Personifikation, Wiederholung, Ironie, Leitmotive usw.)?
Struktur des Absatzes
Synsemantie und Autosematntie des Satzes
Metaphrastische Bindemittel: Satzverbindungswörter: Konjunktionen, Adverbien, Numeralien usw.
Grammatische Stilebene.
· Satzklassifikation:
Satzarten (Aussage-, Frage-, Befehlssätze ...);
Satzorganisation (Parataxe, Hypotaxe, Mischform);
· Morphologische Mittel: die auffälligste und am häufigsten verwendete Wortart und deren Leistung und Funktion (Nominal-, Verbal-, Adjektivstil ...); grammatische Kategorien der Wortarten (Modi, Genera Verbi, Zahl, Person, Kasus u.a.)
Lexische Stilebene
Semantisch-begrifflicher Aspekt: thematische Gruppen, Herkunft des Vokabulars (z.B. aus dem ethischen, politischen, handwerklichen, alltäglichen ... Bereich); thematische und synonymische Verwandschaft, gemeinsprachliche und kontextuale Synonymie
Semantisch-expressiver Aspekt: Begriff der Stilfärbung, expressive und normative Lexik. (Expressiv ist
ein Ausdruck immer nur vor dem Hintergrund einer neutralen, nichtexpressiven
Aussage.) Ausdruckswert der Wörter (denotative, konnotative, übertragende Bedeutung).
Charakterologische Lexik.
Wahl der Substantive (Konkreta, Abstrakta, Herkunftsbereich, Fremdwörter, Historismen, Archaismen, Mode-, Schlagwörter, fachsprachliche Termini ...);
Wahl der Adjektive (beschreibende, bestimmende und bewertende Adjektive, Herkunftsbereich);
Wahl der Verben (Handlungs-, Beschreibungs-, Modal-, Hilfsverben, starke und schwache Verben ...).
Phraseologischer Aspekt: Gebrauch von phraseologischen Wortverbindungen: Idiome, Zwillingsformeln, Sprichwörter, Aphorismen, Losungen, geflügelte Wörter. Sie dienen vor allem der Anschaulichkeit, Sinnfälligkeit, Volkstümlichkeit usw.
Wortbildungsaspekt.
Stilfiguren
Stilfiguren sind dazu berufen , Ausdrucks- und Eindruckskraft, Sinnfälligkeit und Bildkraft des Textes zu steigern. Zu den Stilmitteln gehören:
- - Schlüsselwörter, Leitmotive
- - Bilder, Metaphern, Symbole, Chiffren
- - Personifikation und Vergleiche
- - Ironie
- - Redeformen (wörtliche, indirekte, erlebte Rede, innerer Monolog ...)
- - rhetorische Figuren:
- - - lexikalische Figuren (Oxymoron, Alliteration, Hyperbel, Litotes, Euphemismus, Metonymie,
Pleonasmus)
- - - syntaktische Figuren (Parallelismus, Ellipse, Anakoluth, Chiasmus, Anapher, Katachrese, Zeugma)
- - - kompositorische Figuren (Antithese, Klimax, Steigerung, Wiederholung, Sentenz, Zitat, Parenthese)
- - - bei lyrischen Texten: Gedichtform, Strophenform, Reim ...
- Stilschicht (poetisch, fachsprachlich, normalsprachlich, umgangssprachlich ...)
Man kann alle Stilfiguren in drei Gruppen untersuchen: Mittel der Bildkraft, Lexisch-grammatische Stilfiguren, Mittel zum Ausdruck von Humor und Satire
Mittel der Bildkraft:
Treffende Wortwahl,
Vergleiche,
Metaphern,
Metonymien,
Mittel der Umschreibung,
Epitheta.
Lexisch-grammatische Stilfiguren
syntaktische Figuren (Parallelismus, Ellipse, Anakoluth, Chiasmus, Anapher, Zeugma)
kompositorische Figuren (Antithese, Klimax, Steigerung, Wiederholung, Sentenz, Zitat, Parenthese)
Mittel zum Ausdruck von Humor und Satire
Doppelsinn
Wortspiel
Unlogische Verbindungen
Stilbruch
Phonetische Stilebene: Gedichtform, Strophenform, Reim…